Thursday, August 19, 2010

WHY I STARTED CPS

My father belonged to Deogarh village and my chachi was a teacher in the village school. जब भी मैं जोधपुर से ambassador गाड़ी में engineer पिता और doctorate की हुई विदुषी माता के साथ पहुंचती तो सारे गाँव में एक लहर सी, एक दबदबा सा छा जाता और मैं उस छोटी उम्र में भी उसे महसूस कर पाती थी. चाची के स्कूल में एक दिन बिताने को मिला. पत्थर का फर्श, मोटे से भद्दे दरवाज़े छोटा सा स्कूल.
मैं छठी कक्षा की विद्यार्थी पूरे आत्मविश्वास के से चची के साथ पढ़ाने गई....... और मेरी ज़िन्दगी बदल गई. मेरी सोच बदल गई, मेरे जीवन को मानो कई लक्ष्य कई सपने मिल गए. सबसे बड़ी बात.. उसी कक्षा में मुझे यह ध्येय मिला कि मुझे अपना स्वयं का स्कूल चलाना है.

क्या हुआ था उस कक्षा में....
As I started taking class with confidence and a smile, many pairs of eyes stared at me and then I saw many emotions in their innocent big eyes, I saw a lot of acceptance and I felt that the way I am teaching is reaching to their soul. I felt I am able to give.....
I felt the power within me that I can do lots of things for the children and I also felt a sea, an ocean of love oozing out my little heart.
I realized I have the capacity, capability to run a school where I can teach lovingly with feelings........... where I can brief out their hidden potential.

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